21वीं सदी की बेटियां, 12वीं सदी की ज़ंजीरों में क्यों ? From 2020 Drafted. Not endorsing for right now.
( This article is about a case of inter caste marriage and raised violence by some peoples. To portray the truth of womans actual conditions in many places even in 2020 ) Note :- Its Drafted to post by 2020 hence it is purely based on the scenarios as of 2020 only. I found it was drafted and unchecked hence published. क्या 21वीं सदी की बेटियों को अब भी अपने फैसले लेने का हक नहीं? एक वीडियो वायरल क्या हुई, पूरे देश भर में चर्चाएं आम हो गईं। बात कुछ दिनों पहले की है, लेकिन मुद्दा आज भी गर्म है। ज़रा सोचिए, 21वीं सदी में जब पूरी दुनिया की निगाहें भारत के चंद्रयान-2 पर टिकी हैं, जब Article 15 जैसी फिल्में समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर कर आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रही हैं, तब भी हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां एक लड़की के अपने जीवन के छोटे से फैसले लेने पर भी पहरा बैठा है। एक तरफ जहाँ देश में महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, शिक्षा, तकनीक, समानता और आधुनिकता के सपने बुने जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे ही समाज में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहाँ बेटियाँ आज भी अपनी ज़िंदगी...