सोच बदलो, देश बदलो
अंतरजातीय विवाह के नाम पर हमारे देश में आय दिन जो घटनाएं सुनने को मिलती है वह सच में निंदनीय है विश्व गुरु कहलाने वाले भारत के सभ्य और उन्नत लोगो द्वारा इस प्रकार की मानसिकता अनापेक्षित है, प्यार करना और और अपनी प्रेमिका या प्रेमी से शादी करना सर्वथा उचित तथा मानवीय है ,हां यह सत्य है की चाहे जो भी कारण हो ,जैसी भी परिश्थिति हो अपने परिवार और समाज की मर्यादाओ को लांघकर संकारो पर पानी नहीं फेरना चाहिए, प्यार नसीब से मिला एक खुबसूरत अहसास है .प्यार होने बाद नीरस सी ज़िन्दगी जीने वाले व्यक्ति को ज़िन्दगी जन्नत लगने लगती है, यह सच है की प्यार का पहला अहसास कभी नही भुला सकने वाला होता है और यह भी उतना ही सच है जाती ,धर्म और पारम्पिक सोच को आधार मानकर हमारे समाज में आज भी अलग जाती में प्रेमविवाह करने वालो को कई जगह प्रताड़ित किया जाता है जबकि कानून की नजरो में यह वैध और सामान्य है, लेकिन न जाने क्यों प्रगतिवाद और असीम संभावनाओं के साथ सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ाते विश्व में हमारा सामाज निरर्थक वैचारिक बंदिशों में ही सिमट कर रह जाती है , जबकि वास्तविकता में शिक्षित सृजनात्मक ,परस्पर मैत्रीपूर्ण वातावरण तथा आपसी सहयोग व क्रन्तिकारी विचारो के साथ दुनिया से कदम से कदम मिलाकर चलते हुए हम अनेक कीर्तिमान रच सकते है| आखिर ज़िन्दगी बदलाव और अनुभवों का सफ़र है जिसमे हम कभी बेहद खाश अनुभव से गुजरते है तो कभी बेहद सामान्य अनुभभो से भी हम अनेक पेचीदे दाव-पेंच समझ जाते है| मेरे हिसाब से तो ज़िन्दगी वो है जिसमे आप अपने अरमानो को , खुशियों को, हर वो रंग जो दिल में लगे हो ,हर वो धागा जो दिल से जुड़े हो और हर वो चीज जिससे हमारी भावनाये जुडी हो,, उसे हम जी भर के जीते है , मौज में मस्ती में दर्द में ,दुआ में ,ख़ुशी में गम में , अपनों के पास और खुद के साथ, ख्वाहिशो के करीब और चुनौतिओ के बाद ,जो ज़िन्दगी होती है न दोस्तों वो बेहिसाब और लाजवाब होती है|
हम सब अपनी ज़िन्दगी अपनी सोच को हकीकत बनाकर, उम्मीद को यकीन बनाकर, कांटो को फुल , मुश्किलों को आसान और चाह को राह बनाकर जीना चाहते है , एक ऐसी जिंदगी जिसमे हम अपने parents को खुद पर बहुत नाज करने का मौका देंगे, परिवार को प्यार वाली मुस्कराहट बिखेरने की वजह देंगे और ये सब होगा सिर्फ शिक्षा और रचनात्क वातावरण होने से जिसमे आपसी सहयोग और उपलब्धियों का सृजन हो. याद रखिये इस दुनिया में सबकुछ आसन है सांस लेना भी और छोड़ना भी|
शिक्षित और सभ्य होते हुए भी यदि कोई जाती वयवस्था में भेद और इस प्रकार की विचारधारा रखे तो उसे पढ़ा लिखा अनपढ़ ही कहा जायेगा। यार, मनुष्य को किसी से भी शादी करने का अधिकार संविधान ने दे रखा है, तो जातियो में क्यों बहस करना, अंतर्जातीय विवाह इसे आसान बनाने के एक योजना है, एक प्रयास है, जरा सोचकर देखो 130 करोड़ भारतीयों के इस देश में यदि ऐसा हो कि जो जिस जाती का है उसी जाती के लड़की से ही शादी कर सके तो? न जाने कितने अपराध नए केस आने लगेंगे मनुष्य की भावनाओ और प्राकृतिक अपेक्षाओं का विखंडन नही किया जा सकता है,यह सभी भारतीयो के हित में है अगर एक ईसाई लड़का एक हिन्दू लड़की से प्यार करता है तो दोनों बिल्कुल शादी कर सकते है,सोच को आधुनिक कीजिये,सोच नहीं बदलेगी तो तो देश विकसित देशो की बराबरी कभी नहीं कर पायेगा , सोच बदलो -देश बदलो .
शादी दो दिलो का और परिवारो का निजी मेल मिलाप होता है जिसमे सिर्फ सम्मान , विश्वास,एक एक दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भावना का महत्व होता है , अगर इसमें जातीवाद या भेदभाव या किसी प्रकार की संकीर्णता आड़े आये तो हमारे समाज और देश का दुर्भाग्य ही होगा।
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